Saturday, March 18, 2017

दूसरे महायुद्ध के दौरान बिल्ली ने की थी जासूसी

नमष्कार !
दूसरे महायुद्ध के दौरान बिल्ली ने की थी जासूसी 

                  यह पोस्ट एक सच्ची घटना पर आधारित है।  जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था तब जर्मनी सब पे भारी पड़ रहा था अंग्रेज सेना अपनी प्रत्येक गतिविधियॉ गुप्त रखने की पूरी तरह कोशिश कर रही थी ताकि जर्मनियों को उनकी रणनीतियों के बारे में भनक भी ना लग सके ! कड़ी गुप्तता के बावजूत भी ऐसा हो जाता के अगलेही दिन जर्मनी के लड़ाकू विमान उस स्थान पर जाकर हमला  कर देते थे , आखिर अंग्रेजो को पता नहीं चल पा रहा था के दुश्मन को कैसे सूचना मिल जाती है।  एक दिन अचानक ब्रिटेन के प्रधान मंत्री मि. चर्चिल ने सभी मंत्रियो को टेलीफोन करके एक गुप्त बैठक के लिए बुलाया।  सन्देश  मिलाने के बाद सभी मंत्री तैर किए हुए स्थान पर पहुंचे।  यह एक आपातकालीन बैठक थी इसलिए सभी मंत्रियो को बुलाने में पूर्णतः से गोपनीयता बाराती गई थी।  बैठक शुरू होते ही मि. चर्चिल ने सभी मंत्रियो को कहत बोला के हमारी गुप्तचर विभाग की कड़ी मेहनत  बावजूत हम यह पता नहीं लगा पाए है के हमारी गोपनीय बैठक के बारे मई जर्मनियों को कैसे खबर लग जाती है  ? इसी समस्या पर विचार विमश करने के लिए यह आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी।  सभी मंत्री अपनी अपनी राय दे रहे थे के तभी अचानक एक मोटी बिल्ली कमरे में आई  और मि.चर्चिल की गोद में जाकर बैठ गई।  वे बातचीत के दौरान बड़े  प्यार से उस बिल्ली को सहलाते रहे।  जैसे ही मि.चर्चिल बोलणा बंद  कर देते और कोई दूसरा मंत्री बोलना शुरू करता वो बिल्ली उठकर उस मंत्री के गोद में जाकर बैठ जाती इस तरह से सभी मंत्रियो के गोद में बैठकर बिल्ली चली गई।  
                 बैठक की अगली सुबह जब मि.चर्चिल ने रेडियो शुरू किया , तो रेडियो बर्लिन  के जरिये  अपनी उस आपातकालीन बैठक का पूरा विवरण सुनकर वे दंग रह गए।  आपातकालीन बैठक में उनके मंत्रिमंडल और विश्वासु सदस्यो के अलावा अन्य कोई भी यहाँ तक के परिवार का कोई व्यक्ति भी मौजूद नहीं था , आखिर शक किया भी जाय तो किसपर और किस बिनाह पर।   सभी को सन्देह हुआ के किसी गुप्तचर ने सिपाहियों के रूप में आकर दीवारों में या नजदीकी परिसर में कोई ट्रांसमीटर या माइक्रोफोन तो नहीं लगा दिया , जिसके माध्यम से बैठक की सारी गोपनीय जानकारी बाहर चली जाती है!  इस बात की पुष्टि करने के लिए बैठक की जगह का पूरा परिसर यहाँ तक के इमारत को जांचने के लिए पूरी तरह तोड़ गया और फिर से बनवाया गया पर जासूसी का कोई भी कारण नहीं मिल सका।  और उस बैठक में जो भी महत्वपूर्ण फैसले लिए गए उनकी जानकारी जर्मनी को मिल गई और सभी योजनाए असफल हो गई। फिर  मि. चर्चिल को ऐसा लगा के  उनके ही मंत्री मंडल का कोई मंत्री जर्मनी से मिल गया है , इसलिए उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में  परिवतर्न किया।  लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण सूचना बाहर जाने को कोई रोक नहीं मिल रही थी।
 एक दिन मि.चर्चिल के कोठी पर इसी विषय पर अति महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी के तभी अचानक से वो मोटी बिल्ली आई और बोलने वाले हर एक  व्यक्ति के गोद में जा जाकर बैठने लगी।  बिल्ली जब एक सदस्य के गोद में जाकर बैठी तो उस सदस्य को अचानक से खटका के कही ये बिल्ली तो जासूस नहीं है ? उन्होंने जल्द ही बिल्ली के पुरे शरीर को निहार ते हुए अपना हाथ फिराया। हाथ फेरते हुए अचानक उनका हाथ बिल्ली के पेट पर गया और उनको बिल्ली के पेट में कोई बटन के आकार की कोई चीज है ऐसा एहसास हुआ और वो अचानक चिल्लाए के यह बिल्ली ही जासूस है।  बिल्ली को तुरंत ही जांच के लिए  इन्टेलिजैन्स को सौपा गया।  जब बिल्ली का एक्सरे किया गया तो यह पता चला के बिल्लीके पेट में ऑपरेशन करके एक शक्तिशाली ट्रांसमीटर फिट कर दिया गया था।  इसी ट्रांसमीटर के जरिए दुश्मनो को सारी गोपनीय बाते पता चल जाती थी। 

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