हम जो भी विचार करते हे उसका आकलन होणा यहि सबसे मेहत्वपूर्ण बात है क्योंकी विचारो का आकलन होनेके बाद हि हम समझ सकते हे कि असल समस्या क्या है . हमारी नकारात्मक सोच हि समस्या का कारण बन जाती हे ,
इन कूछ मुद्दो से हम सकारात्मकता कि ओर पेहल कर सकते हे..
१. सही शब्दो का चुनाव..
मे इसे नहि कर सकता , मुझसे नही होगा , मे एक नंबर नहि ला सकता इस जैसे वाक्यो कि बजाय मे कर सकता हु , मुझसे हो सकता हे , मे नंबर एक लाने कि कोशिश कर सकता हू . इस तऱह से सोच बदलसे खुद को एक नई उम्मीद मिलती हे ओर हम अपने कार्य मे सफलता हासील कर सकते हे.
२. अपना रास्ता खुद बनाए ..
हमे जब भी कोई विचार परेशान करता हे तो हम दुसरो से हल पुछते हे ( हालाकी दुसरो से मदत लेना अछी बात हे ओर उससे हमे मदत मिलती हे) लेकीन कई बार दुसरो से मदत लेके हम मुसिबत मे आ जाते हे . इसलिये जाब भी कोई विचार परेशान करे तो स्वयं से पुछे कि इसके उपर सही हल क्या हे ( हमारी जो भी कुछ परेशानी होती हे उसके बारे दुसरो से ज्यादा हम खुद अच्छी तरह से जानते हे इसलिये हमारी परेशानी का हल हम खुद अच्छी तरह से निकाल सकते हे ).
३. गलतिया / घटनाओं से सबक...
कई बार जीवन मे जो समस्या ,चुनौती , कठीनाई ,सुख - दुख आते हे इनसे मे हमे बहुत कुछ सिखने को मिलता हे , हमारे भूतकाल मे हमसे हुई गलतिया हमे बेहत अहेसास दिलाती हे . ( गलतियो को ध्यान मे रखते हुए हमसे वे गलतिया फिर से न दोहराई जाये इसके उपर ध्यान दे.) भूतकाल मे घटीत घएनाए तथा हमारी कि हुई गलतिया इनसे सिख लेते हुये हमे आगे बढना चाहिये .
४.हर चुनौती का स्वीकार ...
नकारात्मकता मे छुपे कारनो को जान ले ओर उसपे गौर करे ! कइ बार हम सही भी हो सकते हे या गलत भी .इसलिये किसीभी चीज का हल निकालाते समय उसके लिये सही क्या होगा उसके परिणाम इसके बारे मी सोच ले.
नकारात्मकता को पीछे छोड सकारात्मकता कि ओर पेहल करे !
इन कूछ मुद्दो से हम सकारात्मकता कि ओर पेहल कर सकते हे..
१. सही शब्दो का चुनाव..
मे इसे नहि कर सकता , मुझसे नही होगा , मे एक नंबर नहि ला सकता इस जैसे वाक्यो कि बजाय मे कर सकता हु , मुझसे हो सकता हे , मे नंबर एक लाने कि कोशिश कर सकता हू . इस तऱह से सोच बदलसे खुद को एक नई उम्मीद मिलती हे ओर हम अपने कार्य मे सफलता हासील कर सकते हे.
२. अपना रास्ता खुद बनाए ..
हमे जब भी कोई विचार परेशान करता हे तो हम दुसरो से हल पुछते हे ( हालाकी दुसरो से मदत लेना अछी बात हे ओर उससे हमे मदत मिलती हे) लेकीन कई बार दुसरो से मदत लेके हम मुसिबत मे आ जाते हे . इसलिये जाब भी कोई विचार परेशान करे तो स्वयं से पुछे कि इसके उपर सही हल क्या हे ( हमारी जो भी कुछ परेशानी होती हे उसके बारे दुसरो से ज्यादा हम खुद अच्छी तरह से जानते हे इसलिये हमारी परेशानी का हल हम खुद अच्छी तरह से निकाल सकते हे ).
३. गलतिया / घटनाओं से सबक...
कई बार जीवन मे जो समस्या ,चुनौती , कठीनाई ,सुख - दुख आते हे इनसे मे हमे बहुत कुछ सिखने को मिलता हे , हमारे भूतकाल मे हमसे हुई गलतिया हमे बेहत अहेसास दिलाती हे . ( गलतियो को ध्यान मे रखते हुए हमसे वे गलतिया फिर से न दोहराई जाये इसके उपर ध्यान दे.) भूतकाल मे घटीत घएनाए तथा हमारी कि हुई गलतिया इनसे सिख लेते हुये हमे आगे बढना चाहिये .
४.हर चुनौती का स्वीकार ...
नकारात्मकता मे छुपे कारनो को जान ले ओर उसपे गौर करे ! कइ बार हम सही भी हो सकते हे या गलत भी .इसलिये किसीभी चीज का हल निकालाते समय उसके लिये सही क्या होगा उसके परिणाम इसके बारे मी सोच ले.
नकारात्मकता को पीछे छोड सकारात्मकता कि ओर पेहल करे !
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Goodv
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