नमश्कार !
आखिर मंदिर में क्यों बजाई जाती है घंटा ( घंटी )
वैसे तो मंदिर में बजाई जाने वाली घंटी के बारे में अलग-अलग तरह की मान्यताए है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण जो मान्यता हे उसके अनुसार घंटी/ घंटा बजाने से मंदिर में स्थापित किए हुए देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती हे इसका परिणाम यह होता हे के हम जो भी कुछ पूजा , आराधना करते हे वे ज्यादा फलदायक और प्रभावशाली होती है.
घंटी बजाने से जो ध्वनि निर्माण होती हे बेहत सुकून दायी होती हे. घंटे की ध्वनि दिल और दिमाग को अध्यात्म का भाव जगाते हुए अध्यात्म की और जाने के लिए मदत कराती हे. हमारा मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता हे। इसके साथ ही कई मान्यताओ के अनुसार घंटी बजाने से इंसान के कई जन्मो के पाप धूल जाते है. जब भी मंदिर मे लय और विशेष धुन के साथ घंटिया बजाई जाती हैं , तब वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय शक्ति की उपस्थिति का एहसास होता है. तीसरी वजह, जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो एक नाद यानी आवाज गुंजायमान हुई थी, मान्यताओ के अनुसार वही आवाज घंटी बजाने पर भी पैदा होती है. इसिलीए घंटी उसी आदि नाद की प्रतीक मानी जाती है.
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